दिल्ली। पाकिस्तानी रुपये में गुरुवार को दो दशकों में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। दक्षिण एशियाई देश के केंद्रीय बैंक के अनुसार गुरुवार को डॉलर के मुकाबले देश की मुद्रा में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आई। मंदी का असर इतना गंभीर है कि पाक ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को फिर से उधार देने को कहा है। विदेशी मुद्रा कंपनियों ने पाकिस्तानी रुपये-डॉलर विनिमय दर पर लगे कैप पर हटा दिया है। कर्ज के बोझ तले दबे दक्षिण एशियाई देश में आर्थिक सुधारों के कार्यक्रम लागू करने के लिए आईएमएफ की ओर से की जाने वाली यह एक प्रमुख मांग थी। यहाँ भी पढ़े:“ASI ने मारी थी गोली” स्वास्थ्य मंत्री का निधन, राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक: जाने विस्तार से
फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन असीम अहमद ने देश की मौजूदा वित्तीय स्थिति को ‘गंभीर’ करार दिया है। उन्होंने कहा, “देश में आर्थिक स्थिति गंभीर है और राजस्व में कमी है।” अंतरराष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस के मौके पर गुरुवार को यहां कस्टम हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में अहमद ने अपने संबोधन के दौरान कहा, “हम जल्द ही कर अंतर को दूर कर लेंगे। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि 7.47 लाख करोड़ रुपये (पाकिस्तानी रुपये) के राजस्व लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा क्योंकि जो लोग कर का भुगतान नहीं कर रहे हैं उन्हें कर के दायरे में लाया जाएगा। यहाँ भी पढ़े:कुशवाहा के समर्थन में उतरे JDU MLC ने मंत्री को भी दे दी चेतावनी: जाने विस्तार से
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान को 2019 में छह अरब डॉलर का आईएमएफ बेलआउट मिला था। इसके बाद पिछले साल इस कर्ज में एक अरब डॉलर की और बढ़ोतरी की गई। देश पिछले साल विनाशकारी बाढ़ की चपेट में आ गया था। हालांकि बैंक ने पिछले साल नवंबर में राजकोषीय समेकन के रास्ते में अधिक प्रगति करने में देश की विफलता के कारण बेलआउट के डिस्बर्समेंट को निलंबित कर दिया था। इस बीच आईएमएफ ने गुरुवार को घोषणा की कि वह जनवरी के अंत में इस डिस्बर्समेंट को फिर से शुरू करने पर चर्चा करने के लिए पाकिस्तान में एक मिशन भेज रहा है।
आईएमएफ की शर्त गिरावट की बड़ी वजह
पाकिस्तान में मौजूदा गिरावट के पीछे कि वजह यह है कि सरकार ने आईएमएफ की शर्त मानकर अपने रुपये को खुले बाजार की कीमत के हिसाब से खुला छोड़ दिया है। इससे पहले पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने एक डॉलर की कीमत को करीब 231 रुपये पर कृत्रिम तरीके से रोक रखा था ताकि अधिक किरकिरी न हो, लेकिन ये सरकारी खजाने में डॉलर आने में एक बड़ा रोड़ा बना हुआ था।
दुनियाभर में पड़ सकता है चीनी आर्थिक मंदी का असर : रिपोर्ट
चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, देश की वार्षिक जीडीपी वृद्धि (सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी) तीन फीसदी तक गिर गई है, जो वर्ष 2022 के लिए तय किए गए 5.5 फीसदी के सरकारी लक्ष्य से काफी कम है। ”फाइनेंशियल पोस्ट” की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की आर्थिक मंदी के चलते दुनियाभर में असर पड़ सकता है। विश्व आर्थिक फोरम में बोलते हुए चीन के उपप्रधानमंत्री लियू हे ने कहा था कि गत 5 वर्ष में हमने हर तरह की अप्रत्याशित घटनाओं का सामना किया है, और दुनियाभर के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव भी देखा है। इसलिए, इस वर्ष की वार्षिक बैठक का थीम ”खंडित विश्व में सहयोग” प्रासंगिक है।
”फाइनेंशियल पोस्ट” की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी ने चीन के विकास में बड़ा छेद कर दिया है। आईएमएफ द्वारा प्रकाशित पूर्वानुमानों की तुलना में अक्तूबर, 2022 में चीन की जीडीपी वृद्धि कुछ ही कम थी। इस पूर्वानुमान के मुताबिक चीन की विकास दर लगभग 4.4 फीसदी थी। पर्यवेक्षक काफी वक्त से चीन के मिडिल-इनकम ट्रैप में फंसने की बातें कहते आ रहे हैं, और अब इस बात के सबूत भी सामने आए कि चीन को ”80 के दशक के अंत और ”90 के समूचे दशक में दर्ज की गई 10 फीसदी या उससे भी अधिक दर के आसपास बढ़ोतरी को बनाए रखने में दिक्कतें आ रही हैं। इसका सीधा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय माना जा रहा है क्योंकि चीन कई उत्पादों के प्रत्यक्ष आयात-निर्यात में शामिल है।
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