दिल्ली। देश में इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. वहीं अगले साल यानी 2024 में आम चुनाव होंगे, चुनावों के मद्देनजर अब सर्वे भी सामने आने लगे हैं। कुछ सर्वे बीजेपी के लिए राहत की खबर लाए हैं तो कुछ ने पार्टी की टॉप लीडरशिप को चिंता में डाल दिया है, हाल ही में सी-वोटर ने अर्ध-वार्षिक सर्वे किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 52 प्रतिशत की रेटिंग के साथ पीएम पद के लिए सबसे पसंदीदा नेता बने हुए हैं। यहां भी पढ़े:अमित शाह ने दी सोरेन सरकार को सीधी चुनौती बोले- चुनाव मैदान में आकर कर लें दो-दो हाथ
वहीं, सर्वे के एक और आंकड़े के मुताबिक, 72 प्रतिशत मतदाताओं ने कहा है कि वो पीएम मोदी के काम से संतुष्ट हैं। इसके बाद लिस्ट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नंबर आता है, जिनके काम से 26 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से 25 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से 16 प्रतिशत लोग संतुष्ट हैं, अप्रूवल रेटिंग की लिस्ट में राहुल गांधी का भी नाम है. 14 प्रतिशत लोग उनके काम से संतुष्ट हैं।
लोकसभा में बीजेपी को मिल सकती हैं इतनी सीटें
सर्वे में सत्तारूढ़ बीजेपी को 284 सीटें जीतने का अनुमान है। वहीं सहयोगियों के साथ ये आंकड़ा 298 हो जाएगा, अनुमान है कि एनडीए का वोट शेयर 43 प्रतिशत रह सकता है, अगस्त 2022 के बाद इसमें 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गठबंधन के साथ 353 सीटें जीती थी।
UPA का वोट शेयर भी बढ़ा
सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए (UPA) आने वाले चुनाव में 153 सीटें जीत सकती है, वोट शेयर में भी दो प्रतिशत की बढ़ोतरी (कुल 30 प्रतिशत) नजर आ रही है। सर्वे में कहा गया है कि मोदी सरकार की अप्रूवल रेटिंग भी बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई है। अगस्त 2023 में अप्रूवल रेटिंग 56 प्रतिशत थी, इसी के साथ सरकार से असंतुष्ट लोगों का प्रतिशत 32 से घटकर अब 18 हो गया है।
ये बातें मोदी और शाह को परेशान करेंगी
अब अगले साल क्या होने वाला है ये बीजेपी के लिए चिंता का विषय जरूर होना चाहिए। इसके पीछे की वजह है कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना इन दोनों ही दलों ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है और ये नुकसान बहुत अधिक हो सकता है। दूसरी ओर, इस सर्वे से एक और अहम बात निकलकर सामने आई है।अनुच्छेद 370 और अयोध्या जैसे वैचारिक मुद्दों को क्रमशः 14 और 12 प्रतिशत मतदाता-समर्थन प्राप्त हुआ है। इसका मतलब यह हो सकता है कि पीएम मोदी की 52 प्रतिशत की समग्र लोकप्रियता की तुलना में कट्टर हिंदुत्व के मुद्दों को लेकर मतदाताओं ने ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है। यहां भी पढ़ें:भाजपा लोगों में धार्मिक उबाल लाना चाहती है, स्वामी प्रसाद का रामचरित मानस पर बयान उनका व्यक्तिगत है: शिवपाल सिंह
एक और अहम बात यह है कि बीजेपी के काडर के वोटों की तुलना राहुल गांधी की 14 प्रतिशत की अप्रूवल रेटिंग से की जा सकती है, इसका मतलब ये है कि वैचारिक रूप से जो वोटर्स बंटे हुए हैं उनकी संख्या लगभग एक समान ही है। ऐसे में ये बीजेपी-एनडीए (BJP-NDA) के लिए एक मुश्किल साबित हो सकती है, चलिए अब सर्वे में अन्य मुद्दों की ओर ध्यान देते हैं। सर्वे में महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी लोगों ने अपनी राय जाहिर की। 25 प्रतिशत लोग मानते हैं कि महंगाई मोदी सरकार की सबसे बड़ी विफलता है और इसके बाद 17 प्रतिशत के साथ बेरोजगारी दूसरे नंबर पर है, वहीं कोरोना महामारी से निपटने के लिए लोगों ने केंद्र सरकार को 20 प्रतिशत की अप्रूवल रेटिंग दी। इससे पता चलता है लोग कहीं ना कहीं सरकार के कोविड मैनेजमेंट से खुश नहीं हैं।
राहुल गांधी की यात्रा पर क्या कहते है सर्वे
सर्वे के अनुसार, 29 प्रतिशत लोगों ने ये माना है कि राहुल गांधी की यात्रा जनता से जुड़ने के लिए एक अच्छा अभियान था, इसी के साथ, 13 प्रतिशत लोगों का मानना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ राहुल गांधी की ‘रीब्रांडिग’ के लिए थी। यहां गौर करने वाली बात है कि यह आंकड़ा आर्टिकल 370 और अयोध्या जैसे अन्य कट्टर मुद्दों के समान ही है।
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